दुनिया भर के लोग एक विश्वास के साथ बड़े होते हैं- राजनीति एक गन्दा खेल है और वहां आम आदमी की कोई ज़रूरत या जगह नहीं है. इस विश्वास ने हमें इतना असंवेदनशील कर दिया है की छोटे मोटे अपराध या भ्रष्टाचार में जब किसी नेता का नाम उछलता है, तो हम चैनल बदल कर दूसरी खबरें देखने लगते हैं. इस व्याप्त उदासीनता के बावजूद कुछ चीज़ें ऐसी हैं जिन पर विश्वास करने का मन करता है, जिन्हें देख कर लगता है की वक़्त कैसा भी हो, यहाँ राजनीति की "गन्दी" परछाई नहीं पड़ेगी. भारत में राष्ट्रपति का चुनाव, कुछ साल पहले तक ऐसा ही हुआ करता था. पर आजकल वोह भी उदास कर देता है. क्या हमारे नेता इतना गिर गए हैं की महा-महिम के चुनाव को भी बाजारू मोल भाव के स्तर पर ले आयें?
विश्वास टूट रहा है. शायद एक दिन सब्र भी टूटेगा, और शायद इस देश का तब नया जन्म हो!
भारत में हाल ही के राष्ट्रपति चुनावों में जो निम्न स्तर की राजनीति देखने को मिली है, वोह इतिहास को भी शर्मिंदा कर देगी. इस राजनीति ने हमारे स्वर्गीय नायकों पर क्या असर किया होगा, उसकी कल्पना करती एक कविता
मेरी दूसरी ब्लॉग , जो राजनीतिक विषयों के लिए है, किसी भी ब्लॉगिंग फोरम पे नहीं है, इसलिए यहाँ से उसका लिंक शेयर कर रहा हूँ.
पढ़ें - "नया राष्ट्रपति" (क्लिक करें)
Shayad hum hi responsible hote hai ,, kyuki 50 % log to vote dene hi nhi jate hai..
ReplyDelete