यह मेरी अपनी रचना नहीं है...यह मैंने कहीं पढ़ी और पढ़ते ही यह मेरे मन में बस गयी...
अब के दिवाली पर इक काम कीजिये
गुप्त दान करने का जमाना जा चुका
जो भी इसके रचयिता हैं ..उसे बहुत बहुत ध्नयवाद और आभार की वोह उन सभी भावनाओ को प्रकट कर पाए जो शायद हम सब भारतीयों को भारतीय बनाती है!
दिवाली के इस पवन अवसर पर आप सभी और आपके परिवार को मेरी ओर से हार्दिक शुभकामनाये!
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कुछ खर्चा मुफलिसों के नाम कीजिये
तकदीर समझ बैठे है जो अंधरों को
तकदीर समझ बैठे है जो अंधरों को
आप रौशनी का वहाँ इंतजाम कीजिये
कोरी मुबारकबाद में कुछ नही हासिल
कोरी मुबारकबाद में कुछ नही हासिल
थोडा सा मीठे का भी एहतराम कीजिये
महसूस करोगे सुकून मन में दोस्तों
महसूस करोगे सुकून मन में दोस्तों
पैर छूकर बुजुर्गों को प्रणाम कीजिये
दौडाके नजर अपने अपने इलाकों में
दौडाके नजर अपने अपने इलाकों में
जरुरतमंदों की यादगार शाम कीजिये
गुप्त दान करने का जमाना जा चुका
जो आपको करना है सरेआम कीजिये
ता- उम्र काम आएगी समझ ले बेचैन
ना ख्वाइशों का खुद को गुलाम कीजिये
Beautiful, thanks for sharing. Wishing you a very Happy Diwali!
ReplyDeleteReally a very beautiful lines.
ReplyDeleteWish you a very happy and prosperous Diwali.
Waah... Behtareen..:)
ReplyDeleteThe best part I liked is.. the last line..
"Na khwahishon ka khud ko gulaam kijiye.."
:)
Thank you all
ReplyDeleteHappy Diwali!
:) happy Diwali Prateek !
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