दीवारों के कान नहीं, ज़ुबान होती है
ज़रा ध्यान से सुनिये
आपसे बातें करने की कोशिश करतीं
ये दीवारें कुछ कहती हैं
कोई बात वोह चित्र, कोई किस्सा वोह घड़ी
इस दीवार के रँग कि,
कहानी भी होगी बड़ी
जितना प्यार है
उतनी ही छिपी है असहमति
इसका हर एक कोना
एक कलाकृति, एक अभिव्यक्ति
ज़रा आभारी होकर देखिये
एक मकान को घर बनाती
ये दीवारें कुछ कहती हैं
यहाँ यादें हैं तस्वीरों में
वो हँसते चेहरे
वो गुज़रे ज़माने
वो दोस्तों कि शरारत
वो अधूरे तराने
ज़रा पलकें उठा के देखिये
एक जीवन का सार बताती
ये दीवारें कुछ कहती हैं
Image Courtesy- http://dainiktribuneonline.com
हर घर की दीवारें कुछ कहती है. सुंदर रचना.
ReplyDeleteI loved loved loved it; need I say more. :)
ReplyDeleteIf only walls had ears!
ReplyDeleteWe should learn to listen to the stories the walls have to narrate! Well versed!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर लिखा है। लेखन इसे ही कहते हैं ,जो समंदर से मोती निकाल कर लाने में सक्षम हो।
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